काशी-तमिल संगमम 4.0: राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता और तमिल भाषा शिक्षण को नई दिशा मिलने की तैयारी

Tue 02-Dec-2025,12:19 PM IST +05:30

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काशी-तमिल संगमम 4.0: राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता और तमिल भाषा शिक्षण को नई दिशा मिलने की तैयारी “तमिल कऱ्कलम” थीम पूरे भारत में तमिल भाषा सीखने और प्राचीन भाषाई-साहित्यिक धरोहर के व्यापक प्रसार को बढ़ावा देने पर केंद्रित होगी।
  • केटीएस 4.0 का उद्घाटन धर्मेंद्र प्रधान और योगी आदित्यनाथ करेंगे, उत्तर और दक्षिण भारत की ऐतिहासिक एकता को आधुनिक मंच प्रदान किया जाएगा।

  • 1,400 से अधिक प्रतिनिधि तमिलनाडु से वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या के सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक स्थलों का आठ दिवसीय दौरा करेंगे।

Uttar Pradesh / Varanasi :

Varanasi/ काशी और तमिलनाडु की हजारों वर्ष पुरानी सांस्कृतिक, शैक्षणिक और आध्यात्मिक एकता को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से काशी-तमिल संगमम (केटीएस 4.0) के चौथे संस्करण का भव्य उद्घाटन आज 2 दिसंबर को वाराणसी में होगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ इस समारोह का संयुक्त रूप से शुभारंभ करेंगे। यह आयोजन उत्तर और दक्षिण भारत के गहरे ऐतिहासिक संबंधों को आधुनिक दौर में और मजबूत करने का मंच प्रदान करेगा।

उद्घाटन समारोह में तमिलनाडु के राज्यपाल श्री आर.एन. रवि, पुडुचेरी के उपराज्यपाल श्री के. कैलाशनाथन, उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक और केंद्रीय राज्य मंत्री श्री एल. मुरुगन प्रमुख रूप से शामिल होंगे। वरिष्ठ नेताओं की व्यापक भागीदारी संगमम की बढ़ती राष्ट्रीय पहचान और एकता के सांस्कृतिक संदेश को दर्शाती है।

इस वर्ष केटीएस 4.0 की थीम "तमिल कऱ्कलम" रखी गई है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत में तमिल भाषा सीखने को प्रोत्साहित करना और देश की प्राचीन भाषाई विरासत के प्रति सम्मान को गहराना है। कार्यक्रम में तमिलनाडु से आए 1,400 से अधिक प्रतिनिधि आठ दिवसीय यात्रा के दौरान वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या के सांस्कृतिक, शैक्षणिक, आध्यात्मिक और ज्ञान संस्थानों का अवलोकन करेंगे।

यह आयोजन शिक्षा मंत्रालय द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार और दस केंद्रीय मंत्रालयों के सहयोग से संचालित किया जा रहा है, जिसमें आईआईटी मद्रास और बीएचयू नॉलेज पार्टनर की भूमिका निभा रहे हैं। संवाद, तीर्थ, विरासत और कला के माध्यम से यह संगम देश की सांस्कृतिक एकात्मता की नई पहचान स्थापित करने को अग्रसर है।